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नाराज़ जिंदगी नाराज़ जिंदगी को मनाती रही। रूठे को सदा मनाती रही। चेहरे पर रोज चेहरे लगाती रही, चाहतों से अपनी मनाती रही। इच्छाओं को अपनी मारती रही जिंदगी उसके ढंग ...